Dr. Srimati Tara Singh
Administrator
Menu
होम
रचनाकार
साहित्य
कविता
गज़ल
गीत
पुस्तक-समीक्षा
कहानी
आलेख
हाइकु
शेर
मुक्तक
व्यंग्य
क्षणिकाएं
लघु-कथा
विविध
E-books
News
Press news
Political news
Paintings
More
Online magazine
रचानाएँ आमंत्रित
Softwares
Website directory
swargvibha forums
Site ranking tool
Contact Us
Audio Books
Online Special Edition
ग़ज़ल
Home
ग़ज़ल
तूने जो दिल पे लिखा है वो मिटाऊं कैसे-------नासिर अख्तर इंदौरी--नासिर अख्तर इंदौरी
जिस निगाह से बचने में मेरी उम्र गुजरी--- डॉ. श्रीमती तारा सिंह--डॉ. श्रीमती तारा सिंह
आदमी ही आदमी के याँ शिकार हों ---ठाकुर दास ‘सिद्ध’--ठाकुर दास ‘सिद्ध’
गहराई दिले यार की थाह न सका---- डॉ. श्रीमती तारा सिंह--डॉ. श्रीमती तारा सिंह
उसकी हिफाजत, दुपट्टा जब से करने लगा------ डॉ. श्रीमती तारा सिंह--डॉ. श्रीमती तारा सिंह
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ
Click to view