Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गहराई दिले यार की थाह न सका, यही हैरानी है
जो भी सुनता, कहता, मेरी भी यही परेशानी है

कानों को लगती ,हर दिन उसकी आवाज नई
जब कि हर कोई जानता ,वह कितनी पुरानी है

मैं भटकता हूँ गली-गली में ,पुकारता नाम उसका
लोग कहते , यह शख्स बड़ी नुकसानी है

हाले दिल , अपना बताये तो क्या बताये
आपने पूछा , यह आपकी मेहरबानी है

तनहा आया , तनहा चला जाना है ,कब साथ
दिया कोई आखिर तक , यही जिंदगानी है

सिजदा आदम को,जमाने ने खूब किया,ऐसे भी
उम्रे- कोताह से वफ़ा चाहना नादानी है

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