गुरबतों में रह कर भी तू
आँख अपनी नम न कर।
हालात हो प्रतिकूल भी गरतू
ज़रा सा गम न कर।
परिवर्तन ही प्रकृति का
शायद शाश्वत नियम है,
मिलेगी मंज़िल तुझे भी
हौसला कुछ कम न कर।
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गुरबतों में रह कर भी तू
आँख अपनी नम न कर।
हालात हो प्रतिकूल भी गरतू
ज़रा सा गम न कर।
परिवर्तन ही प्रकृति का
शायद शाश्वत नियम है,
मिलेगी मंज़िल तुझे भी
हौसला कुछ कम न कर।
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