Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गुरबतों में  रह  कर भी  तू

आँख अपनी  नम न  कर।

हालात हो प्रतिकूल भी गरतू 

 ज़रा  सा   गम  न  कर।

परिवर्तन ही  प्रकृति     का

शायद शाश्वत  नियम     है,

मिलेगी   मंज़िल   तुझे  भी

हौसला कुछ  कम  न  कर।

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