Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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“मैं  पापी  से  घृणा  करता  नहीं, पापों से डरता हूँ!
इसी से दीन – दुखियों मैं सभी से प्यार करता हूँ!
जो कुछ गीता, महाभारत, या मानस ने सिखाया है,
उसी से साथियों को युद्ध हित तैयार करता हूँ!”

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