Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

01

अहं का खेल

मुद्दे पाताल में

हम हैं फेल।

02

तू- तू में-में ही

बना लिया कर्तव्य

अपनों ने भी।

03

ऊर्जा खपायी

सालों की पूंजी ज्ञान

पढ़ी पढ़ायी।

04

बुलबुले सा

क्रोध भी हमारा है

लाये हताशा।

05

वाक पटुता

ज्ञानी भी हो अज्ञानी

न संभलता।

06

मतदान भी

जागरूकता से हो

सफल तभी।

07

जाति की नीति

असफल करती

राज औ नीति।

08

चौकीदार भी

चोर-चोर का शोर

इस बार ही।

09

विकास डूबा

जाति वर्ग धर्म में

जन अजूबा।

10

नियम टूटे

अपने अपनों से

पर हैं रुठे।

11

ताला ही ताला

सभा या जुबान पे

फिर फिसला।

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ