Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ऐ प्यार तुझे ढूंढा कहाँ – कहाँ
तू मिला यहाँ ना मिला वहां ||
सोचा था जल्दी मिंल जाओगे
मेरा तुम साथ निभाओगे
इसी लालसा में तुझको
ना जाने ढूंढा कहाँ – कहाँ?
ऐ प्यार तुझे ढूंढा कहाँ – कहाँ
तू मिला यहाँ ना मिला वहां ||


तू रहता भ्रस्ताचारों में
या अम्बर के चाँद सितारों में
मैंने सोचा तो गलत किया
होता है सोचा किसका यहाँ ?
ऐ प्यार तुझे ढूंढा कहाँ – कहाँ
तू मिला यहाँ ना मिला वहां ||


रहता भिखमंगों के कटोरों में
या नेताओं के नोटों के बोरो में
मुझको ना अब तक पता चला
रहता है तू ना जाने किधर-कहाँ?
ऐ प्यार तुझे ढूंढा कहाँ – कहाँ
तू मिला यहाँ ना मिला वहां ||


महलों में तेरा बासिन्दा है
या देशभक्तों का तू कारिंदा है
ना पाया मैंने अभी तलक
ऐ प्यार तेरा दर-औ -पता |
ऐ प्यार तुझे ढूंढा कहाँ – कहाँ
तू मिला यहाँ ना मिला वहां ||


बसते सुकुमारी के काजल में
या बूढ़ी माँ के आंचल में
तुझे बहुत अब धुंध लिया
अब तू ही बता रहता है कहाँ?
ऐ प्यार तुझे ढूंढा कहाँ – कहाँ
तू मिला यहाँ ना मिला वहां ||

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ