Dr. Srimati Tara Singh
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कहानी
डॉ. तारा सिंह
डॉ. तारा सिंह
पिताश्री और आलम
‘प्रेमाश्रय’
शक की बुनियाद पर भीत
सुचरिता
आश्रिता
उसने पीया है ज़हर
मनोवृत्ति
रिश्ते तूत के
मृग मरीचिका
लांछन
सुगनी का गौना
हवन कुंड
हवन कुंड
हवन कुंड
सुख का सौदागर
बंदिनी
दुख्खन की बेटी
पति –परमेश्वर
छाता
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
उसने पीया है ज़हर
और दर्पण टूट गया
गरीबी की रात अधिक लम्बी होती है
घर से श्मशान तक
चाँदी की बिछिया
बागवां की बेरूखी
प्रायश्चित
चाँदी की बिछिया
दोष तो हमारे भाग्य का है
पिताश्री और आलम
‘प्रेमाश्रय’
माँ का दूध सस्ता क्यों?
यह कैसी मातृभक्ति
वह सपना बड़ा भयानक था
शक की बुनियाद पर भीत
श्वेत फूल की माला
सुचरिता
यह कैसी मातृभक्ति
दद्दू का ठेलागाड़ी
पानी ने बेपानी किया
बागवां की बेरूखी
प्रायश्चित
छोटी बहू
फ़तेह सिंह
मर्णोत्सव
मुझे दुआ चाहिये
आश्रिता
घर से श्मशान तक
काला आँचल
चरण-चिन्ह
सुख का सौदागर
माँ
बागवां की बेरूखी
बिरजुवा के माता-पिता
प्रायश्चित
ज्योति
दोष तो हमारे भाग्य का है
स्वर्ग-सुख
आश्रिता
घर से श्मशान तक
छाता
छोटी बहू
स्वर्ग-सुख
मर्णोत्सव
घर से श्मशान तक
फ़तेह सिंह
मृग मरीचिका
क्या यह वही शाम है?
बागवां की बेरूखी
प्रायश्चित
रिश्ते तूत के
रिसते जख्म
सुख का सौदागर
प्रायश्चित
यादें
राजनीति का आधार धन
मृग मरीचिका
ज्योति
दरका दर्पण
क्या यह वही शाम है ?
घासवाली
घासवाली
कफ़न की तलाश
कुर्बानी का पुरस्कार
पुत्रमोह
हवन कुंड
पुत्रमोह
बेरहम वक्त
मनोवृत्ति
व्रतभंग
भूतों का भूख हड़ताल
सुगनी का गौना
दूध का कर्ज
प्रायश्चित
बंदिनी
आखिरी मुलाकात
आश्रिता
पानी ने बेपानी किया
श्वेत फूल की माला
कोरोना आई है, ममता के संग
गरीबी की रात अधिक लम्बी होती है
वह सपना बड़ा भयानक था
शक की बुनियाद पर भीत
रामधारी चाचा
महँगी जवान हो गई
वहाँ फूल कम, काँटे अधिक थे
यह कैसी मातृभक्ति
और दर्पण टूट गया
गंगाजलि
चला तो बहुत, पहुँचा कहीं नहीं
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
यह कैसी मातृभक्ति
मनोवृत्ति
रिश्ते तूत के
शक की बुनियाद पर भीत
पानी ने बेपानी किया
दोष तो हमारे भाग्य का है
वह सपना बड़ा भयानक था
घर से श्मशान तक
उसने पीया है ज़हर
दोष तो हमारे भाग्य का है
चाँदी की बिछिया
पानी ने बेपानी किया
लाल चुनरी
लाल चुनरी
भुतना का तोता
हवन कुंड
सुगनी का गौना
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
पिताश्री और आलम
शरणार्थी
स्वर्ग -सुख
कफ़न की तलाश
काला आँचल
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
‘प्रेमाश्रय’
बागवां की बेरूखी
प्रायश्चित
घर से श्मशान तक
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
”कंजूस कर्ण’
क्षमा बड़ेन को चाहिए
बागवां की बेरूखी
बंदिनी
कुर्बानी का पुरस्कार
कफ़न की तलाश
पुत्रमोह
खून के रिश्ते
रामधारी चाचा
रिसते जख्म
सुचरिता
श्वेत फूल की माला
बागवां की बेरूखी
बंदिनी
खून के रिश्ते
संतोष धन
जीने के लिए भोला – भाला बने रहो
अपना भी ऋण चुका दो
गंगाजलि
दोस्ती और दायरा
महँगी जवान हो गई
वहाँ फूल कम, काँटे अधिक थे
विधि के हाथ कुछ नहीं
कर्म ही जीवन है
क्षमा बड़ेन को चाहिए
‘शराफत’ जिंदा है
समय की कदर
धन्ना सेठ
वक्त किसी का अपना नहीं होता
प्रेत--यात्रा मार्ग
इस कलि को सावन ने मुरझाया है
ईश्वर! मेरी रक्षा करना
मृग मरीचिका
शरणार्थी
प्रायश्चित
ज्योति
विधि के हाथ कुछ नहीं
अपना भी ऋण चुका दो
चला तो बहुत, पहुँचा कहीं नहीं
विधि के हाथ कुछ नहीं
समय की कदर
काकी
छाता
”कंजूस कर्ण’'
कर्म ही जीवन है
वक्त किसी का अपना नहीं होता
विधि के हाथ कुछ नहीं
शक की बुनियाद पर भीत
वह सपना बड़ा भयानक था
आखिरी मुलाकात
काला आँचल
संतान सुख
सुगनी का गौना
बेरहम वक्त
उसने पीया है ज़हर
करमजला
घर से श्मशान तक
छोटी बहू
आश्रिता
छाता
और दर्पण टूट गया
चाँदी की बिछिया
अमिट स्मृति
करमजला
माँ का दूध सस्ता क्यों?
पुत्रमोह
अपना भी ऋण चुका दो
गंगाजलि
मनोवृत्ति
मर्णोत्सव
पोंगा पंडित
रामधारी चाचा
भाग्य
माटी का बिरुवा
बंदिनी
बागवां की बेरूखी
शक की बुनियाद पर भीत
‘प्रेमाश्रय’
धर्म और धंधा
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
श्वेत फूल की माला
दो तपस्वी
यह कैसी मातृभक्ति
वह सपना बड़ा भयानक था
कफ़न की तलाश
खून के रिश्ते
दोस्ती और दायरा
फूल बने अँगारे
यह नदी प्यासी है
वक्त किसी का अपना नहीं होता
सुख का सौदागर
स्मृति लौट आई है
घासवाली
ज्योति
प्रायश्चित
फ़तेह सिंह
बंदिनी
बागवां की बेरूखी
आखिरी मुलाकात
कुर्बानी का पुरस्कार
राजनीति का आधार धन
यादें
दरका दर्पण
बंदिनी
दूध का कर्ज
किस्मत
आखिरी मुलाकात
रिसते जख्म
दरका दर्पण
प्रायश्चित
जीने के लिए भोला – भाला बने रहो
दद्दू का ठेलागाड़ी
रामधारी चाचा
मर्णोत्सव
दरका दर्पण
प्रेत--यात्रा मार्ग
फ़तेह सिंह
चरण-चिन्ह
काला आँचल
कुर्बानी का पुरस्कार
सुख का सौदागर
मृग मरीचिका
लांछन
दूध का कर्ज
रिश्ते तूत के
मधुवा की माँ
पुत्रमोह
कफ़न की तलाश
पोंगा पंडित
बेरहम वक्त
माँ
क्या यह वही शाम है ?
मृग मरीचिका
बंदिनी
मर्णोत्सव
मनोवृत्ति
घासवाली
ज्योति
क्षमा बड़ेन को चाहिए
संतोष धन
अपना भी ऋण चुका दो
इस कलि को सावन ने मुरझाया है
करमजला
काला आँचल
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
और दर्पण टूट गया
बिरजुवा के माता-पिता
फ़कीरा
फ़तेह सिंह
भाग्य विडंबना
भुतना का तोता
छाता
छोटी बहू
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
कोरोना आई है, ममता के संग
बागवां की बेरूखी
बिरजुवा के माता-पिता
अमिट स्मृति
करमजला
ईश्वर! मेरी रक्षा करना
गंगाजलि
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
गरीबी की रात अधिक लम्बी होती है
उसने पीया है ज़हर
माँ का दूध सस्ता क्यों?
काला आँचल
पुत्रमोह
भाग्य विडंबना
फ़कीरा
चरण-चिन्ह
अमिट स्मृति
“दीपाबली”
ईश्वर! मेरी रक्षा करना
यह नदी प्यासी है
फूल बने अँगारे
‘शराफत’ जिंदा है'
भाग्य
चाँदी की बिछिया
कोरोना आई है, ममता के संग
दद्दू का ठेलागाड़ी
सुगनी का गौना
आश्रिता
घर से श्मशान तक
बागवां की बेरूखी
बिरजुवा के माता-पिता
बागवां की बेरूखी
प्रायश्चित
लांछन
लाल चुनरी
ज्योति
मृग मरीचिका
क्या यह वही शाम है?
बंदिनी
प्रेत-यात्रा मार्ग
चाँदी की बिछिया
पिताश्री और आलम
और दर्पण टूट गया
पानी ने बेपानी किया
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
वह सपना बड़ा भयानक था
कफ़न की तलाश
आखिरी मुलाकात
सौ में से एक गया, बचा शून्य
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
उसने पीया है ज़हर
और दर्पण टूट गया
कोरोना आई है, ममता के संग
गरीबी की रात अधिक लम्बी होती है
घर से श्मशान तक
दद्दू का ठेलागाड़ी
दोष तो हमारे भाग्य का है
पानी ने बेपानी किया
पिताश्री और आलम
पिताश्री और आलम
आश्रिता
छाता
‘प्रेमाश्रय’
माँ का दूध सस्ता क्यों?
छोटी बहू
दादी का स्वर्ग
मुझे दुआ चाहिये
उधार का दूध
सुख का सौदागर
यादें
बंदिनी
राजनीति का आधार धन
प्रायश्चित
स्मृति लौट आई है
क्या यह वही शाम है ?
आखिरी मुलाकात
काला आँचल
मनोवृत्ति
मर्णोत्सव
सुगनी का गौना
हवन कुंड
ज्योति
घासवाली
असल गया, सूद गया
उधार की जिंदगी
”कंजूस कर्ण’
क्षमा बड़ेन को चाहिए
श्वेत फूल की माला
यह कैसी मातृभक्ति
बंदिनी
सुख का सौदागर
मृग मरीचिका
दरका दर्पण
प्रायश्चित
ज्योति
चरण-चिन्ह
काकी
छोटी बहू
कलियुगी राम
प्रायश्चित
ज्योति
संतान सुख
सुगनी का गौना
दरका दर्पण
राजनीति का आधार धन
मृग मरीचिका
स्मृति लौट आई है
काला आँचल
खून के रिश्ते
कहना छोड़ , कर्म करो
चला तो बहुत , पहुँचा कहीं नहीं
आश्रिता
उसने पीया है ज़हर
खून के रिश्ते
पुत्रमोह
रिश्ते तूत के
पोंगा पंडित
इस कलि को सावन ने मुरझाया है
ईश्वर! मेरी रक्षा करना
उसने पीया है ज़हर
दोष तो हमारे भाग्य का है
दोष तो हमारे भाग्य का है
घर से श्मशान तक
छाता
माँ का दूध सस्ता क्यों?
काला आँचल
छोटी बहू
दादी का स्वर्ग
पुत्रमोह
भाग्य विडंबना
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
और दर्पण टूट गया
मुझे अपनी गरीबी पर गर्व है
‘प्रेमाश्रय’
फ़कीरा
पोंगा पंडित
बेरहम वक्त
आखिरी मुलाकात
रिसते जख्म
सुख का सौदागर
दूध का कर्ज
घर से श्मशान तक
छोटी बहू
मृग मरीचिका
सुख का सौदागर
उधार की जिंदगी
मुझे दुआ चाहिये
हवन कुंड
सौ में से एक गया, बचा शून्य
सुख का सौदागर
दूध का कर्ज
उधार की जिंदगी
कलियुगी राम
ज्योति
राजनीति का आधार धन
चरण-चिन्ह
बुढ़िया का लोटा
बेरहम वक्त
रिसते जख्म
दरका दर्पण
दूध का कर्ज
प्रायश्चित
ज्योति
शरणार्थी
पति –परमेश्वर
कलियुगी राम
दूध का कर्ज
मनोवृत्ति
काला आँचल
बेरहम वक्त
भाग्य विडंबना
दादी का स्वर्ग
पुत्रमोह
दोष तो हमारे भाग्य का है
वह सपना बड़ा भयानक था
‘प्रेमाश्रय’
आश्रिता
काला आँचल
छोटी बहू
पति –परमेश्वर
अपना भी ऋण चुका दो
दूध का कर्ज
खून के रिश्ते
कलियुगी राम
सुगनी का गौना
संतोष धन
मृग मरीचिका
प्रायश्चित
सुख का सौदागर
रिसते जख्म
व्रतभंग
राजनीति का आधार धन
माँ का दूध सस्ता क्यों?
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
चरण-चिन्ह
काला आँचल
छोटी बहू
दादी का स्वर्ग
चरण-चिन्ह
काला आँचल
दोष तो हमारे भाग्य का है
पुत्रमोह
मुझे दुआ चाहिये
मुझे अपनी गरीबी पर गर्व है
छाता
पुत्रमोह
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
मुझे दुआ चाहिये
उधार का दूध
सच्ची श्रद्धांजलि
दोष तो हमारे भाग्य का है
स्वर्ग-सुख
पुत्रमोह
सुगनी का गौना
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
आखिरी मुलाकात
आश्रिता
चरण-चिन्ह
सुख का सौदागर
छाता
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
कोरोना आई है, ममता के संग
यह कैसी श्रद्धांजलि
और दर्पण टूट गया
गरीबी की रात अधिक लम्बी होती है
कोरोना आई है, ममता के संग
छोटी बहू
अमिट स्मृति
छोटी बहू
घर से श्मशान तक
दादी का स्वर्ग
मर्णोत्सव
मुझे दुआ चाहिये
फ़कीरा
चरण-चिन्ह
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
दोष तो हमारे भाग्य का है
पुत्रमोह
और दर्पण टूट गया
प्रायश्चित
प्रायश्चित
लांछन
बागवां की बेरूखी
लाल चुनरी
मर्णोत्सव
गरीबी की रात अधिक लम्बी होती है
लाल चुनरी
चाँदी की बिछिया
मर्णोत्सव
दोष तो हमारे भाग्य का है
बागवां की बेरूखी
क्या यह वही शाम है?
आत्मदुर्ग पर, बड़े कड़े पहरे थे
दद्दू का ठेलागाड़ी
प्रायश्चित
अमिट स्मृति
सुगनी का गौना
कफ़न की तलाश
पानी ने बेपानी किया
छोटी बहू
उसने पीया है ज़हर
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