Dr. Srimati Tara Singh
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कविता
अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
औरत का कोमल हृदय, करता पल में चाक
बर्फ में सहे कुपोषण ...
पांच साल के बाद..
जनता करे सपोर्ट.....
काला धन कूड़ा हुआ…..
सृष्टि स्वयं वंदन करे...
धमकी करे अनर्थ.....
वीर जवानों को समर्पित वीर छंद
हिन्दी में धड़के हृदय, हों जब नैना चार
हे गजबदन गणेश गजानन गणनायक गुरु स्वामी हो
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
निहायत शर्मनाक
सारी दुनिया जान ले
पहुँचाते राहत त्वरित....
रामराज्य....
अगड़े पिछड़े हो गये
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
गोरी छज्जे पर चढ़ी
गीता प्रेस है छापता
पलट दें उल्टी बाजी..
मुफ्ती और मसर्रत
ऐसी हो अभिव्यक्ति
फसलें सब बर्बाद जो, संकट में है जान
राहत सरकारी अभी
मानव मानव से मिले
उगेगीं सच की फसलें..
"मूर्ख गोमांस परोसे"
महाराणा आइए
संविधान में सबको शिक्षा
भूकम्प, घर और हम
लोकगीत लहचारी
बेटियाँ धन हैं दूना
अँग्रेजी नववर्ष की, बहुत बधाई मित्र
अमर शहीद ऊधम सिंह के जन्म दिवस पर ...
पेशावर आर्मी स्कूल में भीषण शिशुसंहार पर
साई प्रतिमा मध्य में, उनका है दरबार
"हाँ हम हैं एक कायस्थ"
मेघ बरसें बने तन ये चन्दन
नव संवत्सर दोहे.
राम नवमी की हार्दिक बधाई.
चुनावी मौसम लगा
चलौ हो वोट डारी सबते पहिले
मतदाता जागरूकता गीत
समसामयिक दोहे
आजीवन संघर्ष कर, सहे कष्ट बहु क्लेश
दुनिया में सूखा पड़ा, पेट गया है सूख
नारी के सम्मान में
महाकवि तुलसी-महिमा
एक बनें एक रहे, विश्व हो हमारा
दोहे
कुण्डली
घनाक्षरी
दुर्मिल सवैया
मत्तगयन्द सवैया
“छंदों से लें प्रेरणा ”
“होली का त्यौहार “
कसम है तुम्हें तुम्हारे इतिहास की
श्रेय किसको ?
सिर्फ़ पानी
कन्हैया तेरी ये वंशी
स्वागत है नव वर्ष का
माँ
जय जवान
स्वामी विवेकानंद के सदवचन
“भूकम्प, घर और हम”
आज के परिवेश में एक प्रश्न सभी से ...........
कविता
हिन्दी महिमा
अक्सर देखा है
बेगैरत
दिल की चाहत
गौमाता
बचपन के दिन
प्रभु परशुराम की महिमा
माँ सरस्वती वंदना
माँ की महिमा
अपनी बात
होली के रंग
किसान का दर्द
एक मजदूर का दंश
संगीत का मर्म
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ
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