Dr. Srimati Tara Singh
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कविता
दीपक शर्मा
दीपक शर्मा
तालिबे - इल्म की ये कैसी तलबगारी है
15 अगस्त ज़िंदाबाद
मोक्षदायिनी मां गंगा
गोलीबाज़ी रिश्तों में अच्छी नहीं साहिब
आईना भी कहाँ कब सच बता पाया है
हम एक हैं आईये दुनिया को दिखाइये
नया महीना नूतन वर्ष
फ़रेबी आदमी होता किसी का प्यारा नहीं
26 जनवरी अमर रहे
दूर जाना था चले जाते बहाने और भी थे
बिटिया
ज़िन्दगी ज़िंदाबाद
देवशयनी एकादशी का महत्व
जन्माष्टमी पर
पितृ देव
गूँगा गायेगा बहरा सुनेगा
काश हम सब जन्मजात अंधे होते
बहुत टूटा , बहुत संभला सांचे मे ढल नहीं पाया
परब से विधा ज्ञान मिले
पुरब से विधा ज्ञान मिले
पूरब से विधा ज्ञान मिले
सुनो सनातनी! जानो महिमा
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ
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