Dr. Srimati Tara Singh
Administrator
Menu
होम
रचनाकार
साहित्य
कविता
गज़ल
गीत
पुस्तक-समीक्षा
कहानी
आलेख
हाइकु
शेर
मुक्तक
व्यंग्य
क्षणिकाएं
लघु-कथा
विविध
E-books
News
Press news
Political news
Paintings
More
Online magazine
रचानाएँ आमंत्रित
Softwares
Website directory
swargvibha forums
Site ranking tool
Contact Us
Audio Books
Online Special Edition
कविता
Previous
Next
Home
कविता
डॉ अ कीर्ति वर्धन
डॉ अ कीर्ति वर्धन
इन्द्र्धनुष के रंगों जैसा
चलो आज फिर दुश्मन को बता दें
मैं भारत की बेटी हूँ..
अन्ना जी ने लोकपाल पर
तेरा स्पर्श मुझे रोमांचित कर गया
कंकरीट के जंगल से
बसंत आगमन
बसंत पर विशेष
मिलता हूँ रोज खुद से, तभी मैं जान पाता हूँ
सरस्वती वंदना
हल्दू हल्दू बसंत का मौसम
दीपावली पर्व
अफवाहें फैलाने का हुनर
चीन की औकात नहीं
भारत के नागरिक
दी खुद की कुर्बानी, तब आजादी पायी
बुजुर्ग
वृक्षारोपण
सोमनाथ
मरियल सी हो गयी गाय
शिक्षित होना आगे बढ़ना
चिंतन बिंदु
राम मेरे आराध्य
चलो आज फिर से वहीँ लौट जाएँ
नर्मदा की पवित्रता
गंगा स्नान
छेडछाड का मसला जिस दिन
निर्माण के लिये अवसान का होना जरूरी
मौत से पहले हार मानूं
आँसू
अंसार काम्बरी जी
तोडकर पर्वत की कारा
हिम ग्लेशियरों का सरताज कर्नल
तलाश थी दो बूंद पानी
सनातन ने प्रत्येक युग में सबका सम्मान किया
बसंत की कब बात होगी?
बसंत की कब बात होगी
सनातन ने प्रत्येक युग में सबका सम्मान
होली
सेवानिवृत्ति के बाद जीवन जीने की कला
बैल सांड की व्यथा
हमने भी तो खत्म दौर की
धर्म कर्म- अध्यात्म का
नेता बनने के गुण
गोरैया ( चिड़िया ) दिवस
आज की चित्र रचना
जब बुआ घर पर आती थी
जब बुआ घर पर आती थी
सच को सच कहने से, क्यों डरते हो
समर्पण हो हमारा सदा प्रभु के चरणों में
माना जीवन बहुत कठिन है
हमने नानी को लिखी हैं
कौन कहता है दुख का दरिया ज़िन्दगी
जन्म से जो भी हैं हम
पहले घर के बड़े बूढ़ों को
पतझड़ में डाल से टूटा पत्ता यह अहसास कराता है
पर्यावरण
खुद के भीतर झॉंक सको तो
पुरूष की पीड़ा
शिक्षक
हिंदी दिवस
बात
तुल ने तुल को मार कर
विज्ञान और अध्यात्म का सम्बन्ध हो तो
गंगा स्नान पर विशेष
वफादार ---- कुत्ते को डालिए
अंत अगर पहले लिख जाये
आज के हालात
जब जाग रहा होता हूँ
नये दौर में चिराग़ों को, भला कौन याद करता है
बेटियाँ
अन्तर्मन में व्यथा बहुत थी
आँसू
चलो जीवन को फिर साँचे में ढालें
25 दिसंबर तुलसी दिवस पर
खामोशियां
नये साल में नये संकल्प
बेटा- बेटी
हरि बोल
जीवन क्या और मौत क्या है
कल सिमटी थी धूप कहीं
हिन्दी दिवस के अवसर
गाँव से शहर
जीवन क्या और मौत क्या
किसी से अपेक्षा रखना
आसमां की चाहतें लेकर चला था
बरसात का आनन्द अब
बीती रात हुआ सवेरा
जीने की ख़ुशी
कोई मुझे पैगाम दे
मातृभाषा दिवस की हार्दिक बधाई
आप के धर्म युद्ध पर
गौरवशाली भारत
पिता
चिड़िया दिवस पर
मुक्ति
बाहर चक्षु बन्द हैं
सच को सच कहना
आत्मा बदलती वस्त्र
खुद में खुद को ज़िन्दा रख
खुद को राम बनाकर देखो
पिता
उम्र के इस दौर में भी हूँ युवा
मायूस होकर ज़िन्दगी कब तक जिओगे
आरज़ू कब किसी की ख़त्म होती है
नोट बन्दी पर महिलाओं का दर्द
अर्थ का अर्थ
आत्मा बदलती वस्त्र
हमने लिखी एक कविता
है सनातन कितना व्यापक, जान लो,
उड़ीसा रेल दुर्घटना
बंधनों से मुक्त होकर, इस जगत में क्या करोगे
बहुत दिनों के बाद लगा कि सावन आया है
बाँटे से बढ़ता सदा, ज्ञान का रूप अपार
कुछ लोग समस्याओं में जीते
इतिहास फिर से लिखना होगा
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
नारी शक्ति वंदन
जाने तुमने क्या कर डाला
अध्यात्म संदेश
असत्य पर सत्य की विजय
मुक्ति
पाप पुण्य
पाप पुण्य
रामायण
काजल
मैं माटी का दीपक हूँ ......
परिवार
प्रेम
दीपोत्सव महापर्व की हार्दिक बधाई
कृष्ण/ कान्हा
मेरी गुड़िया
हौसलों की बात
सच्चाई का परिचय पत्र
सर्दी
जय श्रीराम
जैसे- जैसे उम्र बढी, अनुभव
भारतीय नववर्ष
शास्त्रों के ज्ञान पर अनुसंधान होना चाहिए,
मैं चला हूँ वर्जनाओं को पार कर
हिन्दी दिवस पर
उम्र का यह चौथा दौर
जय श्री राम
उम्र का चौथा पहर
पुरुष की पीड़ा
आँसू से नहला कर प्रतिदिन
भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2081 की शुभकामनाएँ
भूली बिसरी बात हुई
बदलता दौर
बेकार की बातों में हम
बस यूँ ही वक्त गुज़ार लेता हूँ मैं
आत्मा बदलती वस्त्र
शिक्षक
प्रकृति का सानिध्य
बंधनों से मुक्त होकर
देश बिक रहा है
देश बिक रहा है
गीता का सार
गिनते रहना- चुनते रहना
जिनको नही बोध, निज संस्कृति संस्कार का
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ
Click to view