Dr. Srimati Tara Singh
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कविता
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कविता
डाँ नन्द लाल भारती
डाँ नन्द लाल भारती
प्रेम सिंह
मजदूर दिवस
प्रेम सिंह
मजदूर दिवस
चाहता हूँ कभी मेरी भी आंखे
बन्दोबस्त
बलिदान
जीवन के लिए
सवाल
मजबूरी
दर्द
जज़्बात
गाँव -एक विरह
बीमार है क्या ?
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राजा की चिन्ता
पुष्पांजलि
मुसीबत और मुश्किल
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फतह
हाशिये का आदमी अदना
श्रमफल
हिन्दी दिवस विषेश
तन्हाईयां
सोने की चिड़िया
दमित आदमी का संघर्षरत
अस्मिता
पिता का दर्द
उम्र का दुख
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फर्ज की छाती
जीवन अग्नि पथ है
मुबारक नया साल
दर्द आदमी का नहीं , उसकी कायनात का होता है
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दर्द
अभ्युदय
बदनसीब कल का महान
देश धर्म
हिन्दी जीवन थाती
बदनसीब पुत्र की डायरी
क्या नही कर सकता इंसान
आज भी
आदमी का आदमी से जुड़े मन
अभिलाषा में
जातिवाद का नरपिशाच
फ़र्ज़ पर फना हुये जा रहा हूँ
धूप का जश्न
आहवाहन
देशहित -जनहित में
संविधान का मान बढ़ाओ
संविधान का मान बढ़ाओ
आगे आगे जाना है
युग निर्माता
राष्ट्र-लोकतंत्र,और संविधान
अदना भी ख़ास हो जायेगा
लोकतांत्रिक के मायने
लोकतंत्र
लोकतंत्र का उद्देश्य
ललकार
अभिलाषा
संविधान
असली आज़ादी का बिगुल बजाओ
चाहत
रंग बदलते आदमी ने
तौहिनी लगाती है
जातिवाद का नरपिशाच
हठधर्मी
साथ चलो बस
अपनी जहां होती
हाय रे खुदगर्ज अपनी जहां वालो
विश्व जल दिवस
जान लो मान लो ये
अपनी परछाई अपना यार
संवाद
विश्व पुस्तक दिवस की बधाई
पुष्पांजलि
कलम के सिपाही
अपनी जहां में
तूफ़ानो की छाती पर
बसंत का हुश्न
माना कि अपनी जहां में
धर्म राजनीति के पहरेदारों
कैद मुकदर की जमानत पर
सद्भावना के मंगल में
माना कि आस्तिक हूँ
बड़े घाव है जिगर में ,छिपाने से नहीं छिपते
माना कि हमारी ज़िन्दगी के भी
मुट्ठी भर आग
फना
जयकार
एक बरस और
दरिद्रनारायण
जहर
प्रतिकार
डर
देवता तो नहीं
धूप का जश्न
सोचता हूँ
मंगल कामना
वेदना के फूल
चुभन
क्या कसूर
दीन
गरीब
देवता तो नहीं
जमा पूँजी
उम्र
विष की खेती
अधिकार
निशान
सम्भावना के फूल
मुखौटा
अस्तित्व
आदमी बदल रहा है
तुला
तस्वीर
मौत
रंज छाने लगा है
मंतव्य
दीप मालिके
अजनवी
इंतज़ार
यादें
मुसीबतों के बोझ बहुत
अभिलाषा
फ़रियाद
ज़िन्दगी
तपती रेत
ज्योति
फरिस्ता
खुदाई
आस
वाणी
निरापद
अभिमन्यु की मौत
मैं हारता चला गया
शंखनाद
जीवन पथ
उम्र का मधुमास
कैनवास
जन्नत
दुआ है हमारी
तर्पण
बधाई हो कन्हाई........
अस्तित्व बचाए
कहा, कैसे ना जाने क्यों
फरियाद
प्रार्थना
अद्भुत प्राणी
निर्मल रिश्ते
पिताजी
कसम एवं सीये जा रहे
आज अट्ठावन,कल उनसठ
ढाई अक्षर
पिता
हमारी उम्मीदें
मीठी मीठी बातें
फरियाद
देवदासी
बहू
खुशियों के दौर मे
अरे अमानुष दोस्त बनकर
यार जिन्दगी बेमुरव्वती की भेंट
जश्न
आज पच्चीस अप्रैल है
सोशल डिस्टेन्सिग
मजदूर दिवस
ख्वाबों की दुनिया
जालिम
भय
विश्वास
मुश्किलें
प्रार्थना
निर्मल रिश्ते
अद्भुत प्राणी
बदनाम ना कर
जीयेंगे या मरेंगे
मैं अपने ही वादे के धागे मेंं
धरती के परमात्मा
बस आगे बढो
कामयाब
ये अंगूलियां
आपबीती
खुद से वादा कीजिए
रिश्ते के कोरोना
पर्यावरण
प्राणायाम
पिता हूँ
बूढ़े बरगद की दास्तां
आसमान पर मोहब्बत की खेती
माँ कहती थी
भारत की कहानी
समय के पुत्र भारत
हिन्दी
आवाज तो करते हैं
घूँघट
जनसमूह
सांसे मत छिनो
सम्बन्धों की कहानी
खुशी की बदरी
ठगों की दुनिया
जीने के लिए
स्वार्थ की धूप
ये लड़कियां
मत काटो पेड़
विहसता हुआ आसमान
आओ बात करें
फोटो कापी की दुकान
पिता होना बड़ी जिम्मेदारी
मन्नत कर रहा हूं
विदेश की नौकरी का परित्याग
आओ तिरंगा फहरायें
देश प्यारा
देश प्यारा
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ
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