Dr. Srimati Tara Singh
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प्रताप पागल
प्रताप पागल
किसका कुसूर था जो इस तरह चल दिये
वो जानती है कि
शहर भर की रंगत तो नहीं लेकिन
कोई नही आता अब गली की आवाज़ बनकर
उसने नीन्द के सारे पत्ते काट कर
खो गया है दिल
उसके जिस्म का रंग कच्चा है कुछ
Dhundh k us paar se aa rhi bepehrn mahak
Kai Dino tkk socha
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