Dr. Srimati Tara Singh
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रचना श्रीवास्तव
रचना श्रीवास्तव
नव वर्ष
आंखों के कोरों मे
एक दिन
अस्तित्व
हो गए बहुत दिन अब तो आजाओ
जीवन अपनों का सजाना तो है
ये सोच के वीराने में चलता हूँ मै
किस बात की तुम से हम गिला करते
उन के लिए कुछ नही ,जिनका सब कुछ थी मै
इन्सान ने इन्सान को मारा
मै कुछ कहना चाहती हूँ
नव वर्ष की किरण
mahngai ki kuchh chhoti kavitayen
America me kuchh yun yad aati hai thand
yahan kuchh youn yad aate hain barish ke din
पुकार
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ
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