Dr. Srimati Tara Singh
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कविता
विजय निकोर
विजय निकोर
भीगी यादें
घाव समय के
दूरियों का दर्द
दूरियों का दर्द
तुम, मेरी देवी
सोच
मैं, एक पूर्ण-विराम !
ख़याल
फिर वही सवाल
वंदना
असंगतिओं का जलप्रलय
तुम्हारी उपस्थिति
मौन में पलने दो
फूलों-सी हँसती रहो
मुझको
यंत्रणा
चौराहा
मौन
पहेली
पुनर्जन्म
आप और तुम
SURRENDER
समय
एकान्त का सूनापन
पराकाष्ठा
THE MIRROR IN MY MIND
वियोग
मेरी परछाईं !
OF HEART AND SOUL
TRYST WITH TRUST
अनुप्रश्न
अनुवर्त्ती रात
चिन्ह
इतना दर्द बन कर क्यूँ आती हो !
मैं ... शीर्षकहीन !
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ
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