Dr. Srimati Tara Singh
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विपुल त्रिपाठी
विपुल त्रिपाठी
मोहब्बत की फितरत है ये इम्तेहान मांगती है
ये किस्से है....ये कहानियाँ है
दोस्तों से हम बस....यही फरियाद करते है
इक बाबा से मैंने पूछा
तेरे बिन मै कितना तन्हा हूँ
सुंदर मुंदरिये होय !
महफिलो में हंस के मिलना
पल भर को नजर नजर में जब कोई पिलाये जाम
ये कैसी पागल लड़की है
शायद यहीं पे कही वो जिद्दी लड़का रहता था
मोहब्बत का है जो ऑउटलेट
नन्ही गुड़िया सोचती है....के काश मै परी होती
मेरा दिल तो ... तेरा teddy है
अगर तू चाहे तो सबको सच मान,के उसपे भी मनाही कोई नही
तुझे आँख में लिए हूँ... मै जहाँ देखता हूँ
राहे वफ़ा में जान मेरी जब रुक्सत होगी
इक बार हंस के देखो........एक बार मुस्कुरा दो
By reading merely words, you cant have impressions
कुर्बानियो की दास्ता पुरानी होंगी
ये कैसी पागल लड़की है
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