Divya Mathur is with Buddhi Nath Mishra and 96 others.
वातायन- वैश्विक संगोष्ठी-103: 7 मई 2022: स्मृति एवं संवाद-24: अमरकांत
प्रो कुमुद शर्मा, प्रो रेखा सेठी, संचालन: डॉ मनोज मोक्षेन्द्र, तकनीकी सहायक: आस्था देव
कार्यक्रम के आरंभ में पत्रकार और लंदन से 30 वर्षों तक लगातार प्रकाशित ‘अमरदीप’ के संपादक, स्वर्गीय जगदीश मित्र कौशल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिनका निधन 90 वर्ष की आयु में 3 मई के दिन हुआ।
प्रो रेखा सेठी जी के संयोजन में आयोजित स्मृति संवाद की श्रंखला के अन्तर्गत आज की 24 वीं संगोष्ठी, सदा की भांति, अनूठी रही। कुमुद शर्मा जी के सुंदर संस्मरणों ने समा बांध हमें दिया। कार्यक्रम के पश्चात भी श्रोता देर तक जुड़े रहे कि कहीं कुछ सुनने से वंचित न रह जाऐ।
टिप्पणियाँ:
प्रभा मिश्रा-भोपाल: आज का वातायन का कार्यक्रम बहुत ही अच्छा लगा | अमरकांत जी मेरे प्रिय कहानीकारों में से हैं , उनके सम्बन्ध में जानना बहुत रोचक रहा | बधाई दिव्या जी!
Dr. Jaishankar Yadav: सभी को प्रणाम। मंच को प्रणाम। दिवंगत जगदीश जी की महान आत्मा को नमन एवं स्मृति को प्रणाम।
Neelam Kulshreshtha: सबको नमस्ते! थोड़ी अस्वस्थ हूं इसलिये वीडियो on नहीं कर रही। वो मेरे ऐसे अनदेखे गुरू थे जिनसे कभी नहीं मिल पाई लेकिन उन्होंने मुझे पत्रकारिता के लिये बहुत प्रोत्साहित किया। 'मनोरमा' में बहुत सी कवर स्टोरी प्रकाशित कीं। दिव्या जी व टीम को आभार क्योंकि मैं इनके विषय में बहुत कम जानतीं हूं।
Dr. Jaishankar Yadav: नमस्कार । उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के पैतृक गाँव भगमलपुर (नगरा) में जहां मूर्धन्य साहित्यकार अमरकान्त, प्रारम्भिक पाठशाला में शिक्षा ग्रहण किए थे वहाँ मुझे भी पढ़ाई करने का सौभाग्य मिला। उनका पुश्तैनी घर ,और खेत खलिहान अब भी मेरी आँखों के सामने सादर,
Neelam Kulshreshtha : कुमुद जी व सेठी जी _अच्छी चर्चा
Dr. Jaishankar Yadav: दिल्ली विश्वविद्यालय में वर्ष 1982-83 में एम ए के पाठ्यक्रम में उनकी कहानी "जिंदगी और जोंक” हमारे पाठ्यक्रम में थी। सौभाग्य से हमें पढ़ाई गई।
Asha Burman : आज की वार्ता में रेखा जी तथा कुमुद जी दोनों की बातचीत अत्यंत रोचक तथा ज्ञानवर्धक है। कुमुद जी की बातचीत बहुत आत्मीयतापूर्ण है।
Mira Singh : सभी को सादर नमन,बहुत उत्तम समीक्षा चल रही है।
Aruna Gupta: बहुत ही सार्थक बातचीत रही, बहुत ही बढ़िया योजना हमें प्रतीक्षा रहेगी। रोचक प्रसंग
प्रो किरण खन्ना: हार्दिक आभार, डॉ साहब, रूचिकर लग रहा यह वार्तालाप.....
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