वसुन्धरा को हर-भरा बनाने में हम वरिष्ठों का प्रयास
जैसा मैं आगे यहीं इसी स्तम्भ में बता चुका हूँ की हम बहुत से वरिष्ठजन नियमित रूप से शाम के समय मैदान में बैठ आपस मे किसी भी विषय पर बातचीत करते आ रहे हैं। 'गर धरा न होती' विषय पर बातचीत पश्चात इस धरा को हरा-भरा बनाये रखने पर सभी अपने अपने विचार बताने लगे । और हम सभी ने फिलहाल दो बिन्दु पर ध्यान केंद्रित कर निम्न कार्ययोजना पर सहमति बनाते हुये इस पर आज ही से हमारे स्तर पर अमल करने का निर्णय लिया -
१] हम सभी को प्लास्टिक के प्रयोग को कैसे कम किया जाय उस पर गम्भीरता से विचार ही नहीं करना है बल्कि हम सभी अपने अपने स्तर पर आज से ही प्रयासरत हो जाना है।
2] पेड़ों की जो अन्धाधुन्ध कटाई हो रही है उसके लिये जागरूकता फैलानी है।इसके लिये हम में से जो शिक्षक रह चूके है उनके माध्यम से उस शिक्षा संस्थान में जागरूकता गोष्ठी आयोजित कर छात्रों को न केवल शिक्षित करना है बल्कि उनको अपनी भागीदारी भी निभाने के लिये प्रेरित करना है।
3] शिक्षा संस्थान में जागरूकता गोष्ठी का फायदा उठाते हुये छात्रों को वृक्षारोपण का फायदा भी समझाना है और वृक्षारोपण के लिये प्रेरित भी करना है।
4] इसी क्रम में यह भी सुनिश्चित करना है कि हम सभी वृक्षारोपण के बाद उसको नियमित तौर पर सींचना भी है। जिसके लिये आपस में छोटे छोटे दल बना पूरी जिम्मेदारी निभाते हुये सभी के बीच आपसी सहयोग बनाये रखना है अर्थात आवश्यकता होने पर अल्प समय के लिये अन्य दल के कार्य का भी भार उठाने में कोताही नहीं बरतनी है क्योंकि हम सामूहिकता के सिद्धान्त पर इस कृत्य को सम्पन्न करने के लिये प्रयासरत हैं।
5] वृक्षारोपण पश्चात उनकी सिंचाई के लिये पानी की आवश्यकता होगी।इसलिये निश्चित समय पर निश्चित मात्रा में पानी उपलब्ध रहे इसकी व्यवस्था ऐसी पुख्ता हो ताकि निर्बाध रुप से यह कार्य सही ढंग से आगे बढ़ता रहे।
6] वृक्षारोपण की तारबंदी भी किया जाना जरूरी होता है ताकि पशुओं से बचा रहे।
उपरोक्त सभी के लिये दानदाताओं को चिन्हित कर उनसे सम्पर्क ही नहीं करना है बल्कि ऐसी प्रक्रिया अपनानी है ताकि उन्हें भी असुविधा न हो और यह कार्य निर्धारित कार्यक्रम अनुसार निर्बाध गति से बढ़ता रहे।
इसके अलावा इलाके से समबन्धित सभी जन प्रतिनिधियों से न केवल सम्पर्क करना है बल्कि इस मद में जो भी सरकारी सहायता मिल सकती हो उसे उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उन पर ही सुनिश्चित करनी है ताकि हमें भागादौड़ी भी न करनी पड़े और हम वृक्षारोपण वाले कार्यक्रम में अपना ज्यादा से ज्यादा समय दे पायें।
अन्त में यह भी निर्णय लिया गया कि हम शाम को यहाँ मैदान में इकट्ठे हो उसदिन सम्पन्न हुये कार्य का आपस में आदान प्रदान भी करें और क्या सुधार की गुन्जाइश है उस पर भी विचार कर लें साथ ही इस गर्मी के मौसम में जल की भी किल्लत जो देखने मिल रही है उस पर भी हमें प्राथमिकता रख विचार अवश्य करना है।
इसके साथ उपरोक्त लिये गये निर्णय व कार्यक्रम को हमें ज्यादा से ज्यादा प्रचारित कर, सभी को प्रेरित भी करते रहना है ताकि अन्य जगहों पर भी लोग इस तरह के कृत्य पर अमल करने की सोचें।
ध्यान रखें सामूहिक प्रयास का नतीजा हमेशा न केवल सुखदायी होता है बल्कि लम्बे समय तक प्रभावी भी रहता है।
गोवर्धन दास बिन्नाणी 'राजा बाबू'
बीकानेर
7976870397
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