री चामुण्ड़ा नन्दिकेश्वरधाम इतिहास एवं परिचय
यस्माच्चण्डं च मुण्डं च गृहीत्वा त्वमुपागता ।. चामुण्डेति ततो लोके ख्याता देवी भविष्यसि ॥. भारत वर्ष के उत्तरारूण्ड में जालन्धर पीठ के अन्तर्गत श्री चामुण्ड नन्दिकेश्वर धाम पौराणिक काल से शिव शक्ति का अदभुत सिदूवरदायी स्थान है। यह स्थान जालन्धर पीठ इतिहास में उत्तरी द्वारपाल के रूप में जाना जाता है। यहां जालन्धर असुर और महादेव के मध्य युद्ध के अवसर पर भगवती चामुण्डा को अधिष्ठात्री देवी एवं रूद्रत्व पद प्राप्त हुआ था जिससे यह क्षेत्र रूद चामुण्डा रुप में भी ख्याति प्राप्त है। सावर्णि मन्वन्तर में जब देवासुर संग्राम हुआ तो भगवती कौशिकी ने अपनी भृकुटि से चण्डिका उत्पन्न की और उसे चण्ड-मुण्ड दैत्यों का वध करने को कहा। तव चण्डिका ने चण्ड-मुण्ड दैत्यों के साथ घोर संग्राम कर उनका वध कर दिया देवी चण्डिका उन दोनों दैत्यों के सिरों को काटकर भगवती कौशिकी के पास ले आई। भगवती ने प्रसन्न होकर कहा कि तुमने चण्ड-मुण्ड दैत्यों को मारा है। अतः तुम्हारी संसार में चामुण्डा नाम से प्रसिद्धि होगी
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