कोविड 19 वेक्सीनेशन की जमीनी हकीकत जानिए!
कोविड वार्ड के चिकित्सक और कर्मचारियों को ही नहीं लग पाई चौथे चरण में भी वेक्सीन!
(लिमटी खरे)
सिवनी (साई)। केंद्र और प्रदेश सरकार के द्वारा कोविड 19 के वेक्सीनेशन के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है, इसके लिए फ्रंट लाईन वर्कस को सबसे पहले कोविड 19 की वेक्सीन लगाए जाने की योजना है। केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा आदेश निर्देश तो जारी कर दिए गए हैं, पर इन आदेश निर्देशों पर प्रभावी क्रियान्वयन हो पा रहा है अथवा नहीं, इस बारे में देखने सुनने की फुर्सत किसी को भी नहीं है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया केा बताया कि सिवनी जिले को लगभग 09 हजार कोविड 19 वेक्सीन प्राप्त हुई हैं। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 16 जनवरी से वेक्सीनेशन का काम आरंभ कराया गया। इसमें पहले चरण में लगभग पांच सौ फ्रंट लाईन वर्कर्स को वेक्सीन लगाए जाने की योजना थी। पहले दिन 100 में से महज 48, दूसरी किश्त में 100 में से 48, तीसरी किश्त में 100 में से 80 एवं चौथी किश्त में 100 में से 100 वर्कर्स इस तरह अब तक कुल 276 फ्रंट लाईन वर्कर्स को वेक्सीन लगाई गई है।
सूत्रों का कहना है कि कोरोना वेक्सीन लगाए जाने के मामले में सिवनी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के द्वारा पूरी तरह लापरवाही बरती गई है। कोविड वार्ड में कार्यरत चिकित्सकों और पेरामेडिकल स्टॉफ सहित अन्य कर्मचारियों को ही चार चरणों के वेक्सीनेशन कार्यक्रम में वेक्सीन का डोज नहीं दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि जिला चिकित्सालय के कोविड वार्ड में लगभग 08 आयुष चिकित्सक, 05 लेब टेक्नीशिन्स जो कि मरीजों का सेंपल आदि लेते हैं के अलावा 06 वार्ड ब्वाय जो कि मरीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान लाने ले जाने, उनकी तीमारदरी आदि का काम करते है, एवं 04 सफाई कर्मी पदस्थ हैं। इतना ही नहीं यहां पदस्थ लगभग दो दर्जन स्टॉफ नर्स जिन्होंने कोरोना कोविड 19 के संक्रमण के पीक टाईम में अपनी सेवाएं दीं थीं, उन्हें भी कोविड 19 की वेक्सीन से वंचित ही रखा गया है।
सूत्रों ने आगे बताया कि यह पूरी गफलत प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी. मेश्राम एवं प्रभारी जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. लोकेश चौहान की गलत नीतियों के कारण हो रही है। उदहारण के लिए पहले दिन जिन 100 फ्रंट लाईन वर्कर्स को कोविड 19 की वेक्सीन दी जानी थी, उसमें से महज 48 लोगों को ही वेक्सीन लगाई गई। शेष बचे 52 लोगों में से लगभग दो दर्जन लोगों के नाम दूसरे चरण के लिए भेज दिए गए, इस तरह दूसरे चरण में नए वर्कर्स में महज 75 लोगों के नाम ही जा सके। इस तरह एक एक वर्कर को दो से तीन बार वेक्सीनेशन लगवाने के लिए संदेश प्राप्त हुए। सूत्रों की मानें तो प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी. मेश्राम और प्रभारी सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. विनोद नावकर को तीन तीन बार वेक्सीनेशन के लिए संदेश प्राप्त हुए हैं।
सूत्रों ने यह भी बताया कि वेक्सीनेशन का प्रतिशत कम होने की जानकारी जब स्वास्थ्य विभाग के राजधानी भोपाल में पदस्थ आला अधिकारियों को लगी तो उनके द्वारा लताड़े जाने के बाद तीसरे और चौथे चरणों के लिए जिला चिकित्सालय में पंजीकृत नर्सिंग होम और दवाखानों के निजि चिकित्सकों और उनके यहां काम करने वाले पेरमोडिकल स्टॉफ को वेक्सीनेशन के संदेश भेजे गए, जबकि सबसे पहले जिला मुख्यालय में कोविड वार्ड और जिला चिकित्सालय में तैनात चिकित्सकों और पेरमेडीकल स्टॉफ सहित अन्य कर्मचारियों का वेक्सीनेशन किया जाना चाहिए था।
सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रभारी सीएमएचओ और जिला टीकाकरण अधिकारी ने मिलकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पदस्थ लिपिकों को वेक्सीनेशन के लिए संदेश भिजवा दिए, जबकि कार्यालय में बैठकर काम करने वालों को कोविड वार्ड या जिला चिकित्सालय में काम करने वाले कर्मचारियों की तुलना में एक्सपोजर का खतरा कम होता है। इधर, टीकाकरण आरंभ होने के सात दिन बीत जाने के बाद भी पेरीफेरी अर्थात जिला मुख्यालय से इतर अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र, सिटी डिस्पेंसरी, सिविल अस्पताल आदि में 22 जनवरी तक वेक्सीनेशन का काम आरंभ नहीं हो पाया है।
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