Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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Manish Jain Malayketu

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Want to be lost like lost Gods, the fate !!!
Same story - wherever I go I find it ... Specific place does not matter, now, it's all around.

नवनिर्माण के साथ साथ प्राचीन धरोहरों का संरक्षण, श्रुत संवर्धन तथा तीर्थंकरों के बताये मार्ग अनुसार आचरण - ये ही इस पंचम दु:खमा कलिकाल के अंत तक धर्म की ज्योति जलाये रखने में सहायक हो सकता है - अन्यथा, धर्म के साथ साथ ये दृश्य भी विलुप्त होते जायेंगे |
नदी किनारे का वृद्ध वृक्ष कब तक स्वयं को बचाकर किनारे का कटान रोक सकता है ? एक दिन तो उसको जलप्लावित होना ही है | किन्तु, फिर भी हमारे सामर्थ्य का पूर्ण उपयोग और चेष्टा सही दिशा में क्रियान्वित होना अति आवश्यक है | 

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