निगम मण्डलों में नेताओं के पुनर्वास की सुगबुगाहटों से सियासी पारा भी दिख रहा बढ़ता हुआमई से आरंभ हो सकता है निगम मण्डलों में नियुक्ति का सिलसिला, अनेक नेताओं की है मलाईदार कुर्सियों पर नजर(नन्द किशोर)भोपाल (साई)। लगभग सोलह माह पुरानी मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार में खाली पड़े निगम मण्डलों पर नेताओं के पुनर्वास की सुगबुगाहटों से राजधानी भोपाल का सियासी पारा भी गर्मी के मौसम में बढ़ता ही दिखाई देने लगा है। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष की ताजपोशी के बाद ही निमग मण्डलों में नियुक्ति की बारी आ सकती है।देश की राजनैतिक राजधानी नई दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंज के सूत्रों ने ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ को बताया कि दो तीन माहों से मध्य प्रदेश भाजपा के मुखिया की नियुक्ति का मामला टलता आ रहा है। अब यह इसी माह के अंत तक परवान चढ़ सकता है अर्थात मासांत तक प्रदेश भाजपा को नया मुख्यिा मिल सकता है।उधर, नई दिल्ली स्थित भाजपा के केंद्रीय कार्यालय के भरोसेमंद सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश के भाजपाध्यक्ष की घोषणा तो काफी पहले ही हो जाती किन्तु 2023 में संपन्न हुए विधान सभा चुनावों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बिदाई और डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान अब चाह रहे हैं कि उनकी पसंद का भाजपाध्यक्ष प्रदेश में बैठे। सूत्रों ने बताया कि संभवतः यही कारण है कि मध्य प्रदेश भाजपा के नए मुखिया की नियुक्ति में विलंब होता जा रहा है।सूत्रों की मानें तो भाजपा में अभी संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है और प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला तीन माहों से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के पास विचाराधीन होने से प्रदेश में निगम मण्डलों सहित अनेक विकास प्राधिकरणों में भी नियुक्ति नहीं हो पा रही है।सूत्रों ने बताया कि जैसे ही मध्य प्रदेश भाजपा के नए मुखिया की ताजपोशी होगी, उसके बाद वित्त आयोग, बीज विकास निगम, मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम, मध्य प्रदेश गृृह निर्माण मण्डल, नागरिक आपूर्ति निगम, उर्जा विकास निगम, खनिज निगम आदि में नियुक्ति का सिलसिला आरंभ हो जाएगा। इसके अलावा इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर आदि विकास प्राधिकरणों में अध्यक्षों की नियुक्तियों के मार्ग भी प्रशस्त हो सकते हैं। इनमें से कुछ को कैबनेट तो कुछ को राज्य मंत्री का दर्जा भी मिल सकता है।इधर, मध्य प्रदेश भाजपा के सूत्रों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि इस बार निगम मण्डलों में नियुक्तियों के पहले इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि जिसे भी उपकृत किया जाएगा उसके द्वारा संगठन को मजबूत करने में कितना योगदान दिया है। इसमें पिछली बार मजबूत दावेदारी के बाद टिकिट न मिल पाने वालों, अच्छे प्रदर्शन के बावजूद चुनावों में पराजय का सामना करने वालों, अन्य दलों से भाजपा में आने वालों के अलावा हार्ड कोर नेताओं को प्राथमिकता दी जा सकती है।ज्ञातव्य है कि डॉ. मोहन यादव के द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दो माहों के उपरांत फरवरी 2024 में सभी राजनैतिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि मोहन यादव के द्वारा इन नियुक्तियों को किया जाएगा, किन्तु साल बीत जाने के बाद भी किसी के हाथ लालीपाप न लगने से नेताओं में निराशा का वातावरण गहराने लगा था।इन क्षेत्रों के नेताओं को मिल सकता है मौकाराजधानी भोपाल की फिजा में तैर रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो आने वाले समय में प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर चंबल अंचल, महाकौशल विशेषकर छिंदवाड़ा, एवं बालाघाट के अलावा सागर, विन्ध्य क्षेत्रों के नेताओं को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावनाएं हैं। इन नियुक्तियों के जरिए अनेक नेताओं को साईज में भी लाए जाने की चर्चाएं तेजी से चल रहीं हैं।
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