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सादर प्रकाशनार्थ प्रेस विज्ञप्ति
आदरणीय सम्पादक महोदय,सादर नमस्कार।
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आपका-
अजय जैन 'विकल्प'
(संस्थापक-सम्पादक)
सम्पर्क-09770067300(व्हाट्सएप) इंदौर (मध्यप्रदेश,भारत)
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विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा:सुखमिला अग्रवाल 'भूमिजा' व सुरेंद्र सिंह राजपूत 'हमसफर' बने विजेता
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इंदौर(मप्र)। अच्छे सृजन एवं मातृभाषा हिंदी को सम्मान देने की कड़ी में हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार ने 'विश्व पुस्तक दिवस' विषय पर स्पर्धा आयोजित की। इस महती विषय पर सुंदर सृजन करके पद्य वर्ग में सुखमिला अग्रवाल 'भूमिजा' एवं सुरेंद्र सिंह राजपूत ने 'हमसफर' ने गद्य वर्ग में पहला विजेता बनने का सुयश पाया है।
यह जानकारी मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन व संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने दी। आपने सतत ३० वीं स्पर्धा के परिणाम जारी करते हुए बताया कि,जनजीवन से जुड़े इस विषय पर अनेक प्रविष्टियों में से चुनिंदा रचनाओं को प्रकाशित किया गया। तत्पश्चात निर्णायक ने पद्य विधा में हैदराबाद (तेलंगाना) की रचनाशिल्पी सुखमिला अग्रवाल 'भूमिजा' की रचना 'पुस्तक सच्ची साथी' को पहला स्थान दिया है। ऐसे ही इसी वर्ग से 'पुस्तक है प्राण' के लिए कुसुम सोगानी(इंदौर,मप्र)को द्वितीय एवं डॉ. अर्चना मिश्रा शुक्ला(कानपुर,उप्र) को 'धरोहर' पर तीसरा स्थान मिला है। वहीं राजस्थान से रचनाशिल्पी डॉ. एन. के. सेठी की रचना 'पुस्तक पढ़ ज्ञानी बनें' ने चौथा (विशेष )स्थान प्राप्त किया है।
श्रीमती अर्चना जैन ने बताया कि स्पर्धा के गद्य वर्ग में सुरेंद्र सिंह राजपूत (देवास,मप्र) को 'जीवन का दीपक है पुस्तक' रचना पर प्रथम स्थान दिया गया है। इसी वर्ग में विजयलक्ष्मी विभा(प्रयाग,उप्र) 'पुस्तकें जीवन का अर्थ' पर दूसरी विजेता बन गई, जबकि मधु मिश्रा(नुआपाड़ा,उड़ीसा)की रचना 'हमसफर' को तीसरा स्थान दिया गया।
आपने बताया कि,स्पर्धा में गद्य वर्ग में इंदौर (मप्र) निवासी रचनाशिल्पी डॉ. पूर्णिमा मंडलोई को चौथा स्थान(किताब पढ़ने की प्रेरणा-विशेष स्थान) दिया गया है। स्पर्धा के सभी विजेताओं व सहभागियों को पोर्टल के मार्गदर्शक डॉ. एम. एल. गुप्ता 'आदित्य' (महाराष्ट्र),संयोजक सम्पादक प्रो.डॉ. सोनाली सिंह एवं श्रीमती जैन भी ने हार्दिक बधाई- शुभकामनाएं दी है।
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आपसे सहृदय सादर विनम्र अनुरोध है कि, आपके प्रकाशन में स्थान के उपरांत लिंक/ पीडीएफ प्रेषित कराने का विनम्र कष्ट अवश्य करें,ताकि मूल प्रति संग्रहित की जा सके।
सादर धन्यवाद।
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