गर्ल्स हॉस्टल्स की कौन लेगा सुध!
पॉलीटेक्निक का गर्ल्स हॉस्टल इस साल भी नहीं हो पायेगा आरंभ!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय में पुलिस प्रशासन द्वारा बार - बार किरायेदारी और मुसाफिरी को आवश्यक बनाने की बात तो कही जाती है पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा रहा है। बाहर से आकर निवास करने वाले लोगों के बारे में अभी भी मकान मालिकों के द्वारा किरायेदारों की सूचना नहीं दी गयी है। सबसे अधिक खतरे में शहर के गर्ल्स हॉस्टल्स ही नजर आ रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अपने - अपने घरों को बालक और बालिकाओं के लिये छात्रावास में तब्दील कर दिया गया है। कुछ हॉस्टल्स तो बकायदा पूरे साजो सामान और सुविधाओं से युक्त हैं, पर अधिकांश छात्रावासों में विद्यार्थियों की सुरक्षा आदि का कोई इंतजाम नजर नहीं आता है।
बताया जाता है कि सिवनी शहर में लगभग आधा दर्जन बालिका छात्रावास संचालित हो रहे हैं। इन छात्रावासों में न तो सुरक्षा के मानक स्तर के प्रबंध हैं और न ही यहाँ बालिकाओं के रहने के लिये उचित व्यवस्था की गयी है। खान पान के लिये भी यहाँ मनमर्जी पर ही सब कुछ निर्भर करता है।
शहर में संचालित होने वाले सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में बाहर से आकर अध्ययन करने वाले पुरूष छात्र तो कहीं भी टोली बनाकर मकान किराये से ले लेते हैं किन्तु बालिकाओं के साथ यहाँ रहने की मुसीबत हो जाती है। सरकारी स्तर पर कामकाजी महिला वसति गृह अवश्य है पर वह भी इनकी संख्या को देखकर नाकाफी ही कहा जा सकता है।
बताया जाता है कि शहर में संचालित गर्ल्स हॉस्टल्स की न कभी पुलिस द्वारा आकस्मिक चौकिंग की जाती है और न ही यहाँ कहीं भी सुरक्षा गार्ड की तैनाती रहती है जिससे कभी भी किसी भी तरह की अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा पॉलीटेक्निक कॉलेज का गर्ल्स हॉस्टल इस शैक्षणिक सत्र में भी शायद ही आरंभ हो पाये। इसका कारण यह है कि इस हॉस्टल को पिछली बार संपन्न हुए निर्वाचन कार्य के लिये अघोषित तौर पर उपयोग में लाया जाता रहा है। चुनावों के बाद इस हास्टल में अब हलचल भी दिखायी नहीं देती है। अलबत्ता बीच में इस अनुपयोगी भवन की रंगाई पुताई और साज सज्जा, बिजली की फिटिंग आदि वर्ष 2020 में अवश्य कराई गई थी।
उल्लेखनीय होगा कि मध्य प्रदेश गृह निर्माण मण्डल के द्वारा 79.25 लाख रुपये की लागत के 50 शैया वाले कन्या छात्रावास का निर्माण 11 जनवरी 2013 को किया गया था। इस हॉस्टल को भोपाल की एआरपी सेल्स एण्ड इंजीनियरिंग के द्वारा नौ माह की आलोच्य अवधि में पूर्ण कराया जाना था।
विडंबना ही कही जायेगी कि पॉलीटेक्निक प्रशासन के हीला हवाले के चलते साढ़े आठ साल बाद भी यह कन्या छात्रावास आज भी आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है। इसको पूर्ण कराने की बजाय अब पॉलीटेक्निक कॉलेज प्रशासन के द्वारा इसे पॉलीटेक्निक में अध्ययन करने वालीं छात्राओं के लिये आरंभ नहीं कराया गया है। नया शैक्षणिक सत्र आरंभ होने को है पर पॉलीटेक्निक प्रशासन इस छात्रावास को आरंभ कराने फिकरमंद प्रतीत नहीं हो रहा है।
--
पॉलीटेक्निक का गर्ल्स हॉस्टल इस साल भी नहीं हो पायेगा आरंभ!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय में पुलिस प्रशासन द्वारा बार - बार किरायेदारी और मुसाफिरी को आवश्यक बनाने की बात तो कही जाती है पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा रहा है। बाहर से आकर निवास करने वाले लोगों के बारे में अभी भी मकान मालिकों के द्वारा किरायेदारों की सूचना नहीं दी गयी है। सबसे अधिक खतरे में शहर के गर्ल्स हॉस्टल्स ही नजर आ रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अपने - अपने घरों को बालक और बालिकाओं के लिये छात्रावास में तब्दील कर दिया गया है। कुछ हॉस्टल्स तो बकायदा पूरे साजो सामान और सुविधाओं से युक्त हैं, पर अधिकांश छात्रावासों में विद्यार्थियों की सुरक्षा आदि का कोई इंतजाम नजर नहीं आता है।
बताया जाता है कि सिवनी शहर में लगभग आधा दर्जन बालिका छात्रावास संचालित हो रहे हैं। इन छात्रावासों में न तो सुरक्षा के मानक स्तर के प्रबंध हैं और न ही यहाँ बालिकाओं के रहने के लिये उचित व्यवस्था की गयी है। खान पान के लिये भी यहाँ मनमर्जी पर ही सब कुछ निर्भर करता है।
शहर में संचालित होने वाले सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में बाहर से आकर अध्ययन करने वाले पुरूष छात्र तो कहीं भी टोली बनाकर मकान किराये से ले लेते हैं किन्तु बालिकाओं के साथ यहाँ रहने की मुसीबत हो जाती है। सरकारी स्तर पर कामकाजी महिला वसति गृह अवश्य है पर वह भी इनकी संख्या को देखकर नाकाफी ही कहा जा सकता है।
बताया जाता है कि शहर में संचालित गर्ल्स हॉस्टल्स की न कभी पुलिस द्वारा आकस्मिक चौकिंग की जाती है और न ही यहाँ कहीं भी सुरक्षा गार्ड की तैनाती रहती है जिससे कभी भी किसी भी तरह की अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा पॉलीटेक्निक कॉलेज का गर्ल्स हॉस्टल इस शैक्षणिक सत्र में भी शायद ही आरंभ हो पाये। इसका कारण यह है कि इस हॉस्टल को पिछली बार संपन्न हुए निर्वाचन कार्य के लिये अघोषित तौर पर उपयोग में लाया जाता रहा है। चुनावों के बाद इस हास्टल में अब हलचल भी दिखायी नहीं देती है। अलबत्ता बीच में इस अनुपयोगी भवन की रंगाई पुताई और साज सज्जा, बिजली की फिटिंग आदि वर्ष 2020 में अवश्य कराई गई थी।
उल्लेखनीय होगा कि मध्य प्रदेश गृह निर्माण मण्डल के द्वारा 79.25 लाख रुपये की लागत के 50 शैया वाले कन्या छात्रावास का निर्माण 11 जनवरी 2013 को किया गया था। इस हॉस्टल को भोपाल की एआरपी सेल्स एण्ड इंजीनियरिंग के द्वारा नौ माह की आलोच्य अवधि में पूर्ण कराया जाना था।
विडंबना ही कही जायेगी कि पॉलीटेक्निक प्रशासन के हीला हवाले के चलते साढ़े आठ साल बाद भी यह कन्या छात्रावास आज भी आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है। इसको पूर्ण कराने की बजाय अब पॉलीटेक्निक कॉलेज प्रशासन के द्वारा इसे पॉलीटेक्निक में अध्ययन करने वालीं छात्राओं के लिये आरंभ नहीं कराया गया है। नया शैक्षणिक सत्र आरंभ होने को है पर पॉलीटेक्निक प्रशासन इस छात्रावास को आरंभ कराने फिकरमंद प्रतीत नहीं हो रहा है।
--
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY