Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बुढापा

 

सच है
मै अतीत हो गया हूँ
मगर
कौन कहता है
कि
मै बूढा हूँ,
गौर से देखो
सुनो
और समझो मुझे
मै
तजुर्बों का विशाल
दरख्त हो गया हूँ|
वस्त्र
कुछ मैले कुछ पुराने
हो रहे है
कुछ फट गये
नये की राह
जोह रहे हैं|
बस
जिसे तुम
बुढापा कह रहे हो
फटे वस्त्रो को
सह रहे हो|
जल्द ही
ऐसा समय भी आयेगा
वस्त्र पुराना ही सही
अपने महत्व का
अहसास दिलायेगा|

अ कीर्ति वर्द्धन


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