सच है
मै अतीत हो गया हूँ
मगर
कौन कहता है
कि
मै बूढा हूँ,
गौर से देखो
सुनो
और समझो मुझे
मै
तजुर्बों का विशाल
दरख्त हो गया हूँ|
वस्त्र
कुछ मैले कुछ पुराने
हो रहे है
कुछ फट गये
नये की राह
जोह रहे हैं|
बस
जिसे तुम
बुढापा कह रहे हो
फटे वस्त्रो को
सह रहे हो|
जल्द ही
ऐसा समय भी आयेगा
वस्त्र पुराना ही सही
अपने महत्व का
अहसास दिलायेगा|
अ कीर्ति वर्द्धन
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