Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बूंद जब बरसी नेह की

 
बूंद जब बरसी नेह की, फूल खिल गये,
प्यार से देखा जो उसने, दिल मिल गये।
ज्यों महकती प्यासी धरती, पहली बूंद से,
देखकर ही रूप उसका, होंठ सिल गये।
अ कीर्ति वर्द्धन

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