Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गीता सार

 
शस्त्र और शास्त्र का, समन्वय होना चाहिए,
कष्ट कितने भी पड़ें, संयम होना चाहिए।
बुद्धि और विवेक भी, संग संग चलते रहें,
गीता का सार धर्म रक्षा, पालन होना चाहिए।
कौन अपना कौन पराया, आत्मा का सार क्या,
शरीर बस मिटृटी का पुतला, ज्ञान होना चाहिए।
अधर्म की जो बात करता, पाप की राह चलता,
आत्मा को दुष्ट की, नव वस्त्र बदलना चाहिए।
शास्त्र ने हमको सिखाया, अध्यात्म चिंतन करो,
शस्त्र भी संग संग रहें, दुष्ट दलन होना चाहिए।
बस यही था ज्ञान सारा, कृष्ण ने गीता रची,
मानव हो मानवता के प्रति, सजग होना चाहिए।


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