हार- जीत के फेर मे पडता नही हूँ,
कर्म करता चल रहा, डरता नही हूँ।
रोज ही अनुभव दे रही है जिन्दगी,
बस किताबी भरोसा करता नही हूँ।
यूँ तो हमने भी पढी किताबें अनेकों,
तजुर्बे से ज्यादा भरोसा करता नही हूँ।
जलने का अहसास आग से खुद जानो,
किताब पढकर कभी जलता नही हूँ।
अ कीर्ति वर्द्धन
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