Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खाना थोड़ा कम खाता हूं

 
खाना थोड़ा कम खाता हूं,
ज्यादा तो मैं गम खाता हूं।
क्रोध जलाता खुद को यारों,
इसिलिये मैं नम जाता हूं।
प्यार मोहब्बत स्नेह औषधि,
इनको बांटू- समझाता हूं।
जीवन बहुत अहम है मित्रों,
अध्यात्म आधार बताता हूं।

अ कीर्ति वर्द्धन

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