Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किताबों का नशा

 
किताबों का नशा कभी कम नहीं होगा,
लिखे को पढ़ना कभी कम नहीं होगा।
बदलते दौर में पढ़ने का अन्दाज बदला,
इश्क का बुखार कभी कम नहीं होगा।
आग अगर होगी कलम में शायर की,
शायरी का दौर कभी कम नहीं होगा।
जो लिखा गया वह ही तहरीर बनता,
गीता रामायण से कभी कम नहीं होगा।
माना कि दौर बदला कागज पढ़ने का,
मगर पढ़ने का दौर कभी कम नहीं होगा।

अ कीर्ति वर्द्धन

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