माना जीवन बहुत कठिन है, वर्तमान हालातों में,
सोचो क्या हल मिल पायेगा, नकारात्मक बातों में?
लाशों के हैं ढेर सड़क पर, जीवन भी तो सम्मुख है,
जीवन फिर भी आगे बढ़ता, हर मुश्किल आघातों में।
जीने की यदि चाह हृदय में, चाहे जितनी विपदा हों,
बीज अंकुरित हो ही जाता, पत्थर की दीवारों में।
जीवन मरण देन ईश्वर की, वह ही खेवनहारा है,
सकारात्मक सोच सिखा दो, बच्चों को संस्कारों में।
अ कीर्ति वर्द्धन
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