सोमनाथ में हमने देखा, वीरांगना को घोडे पर,
सज-धज कर चली दुल्हनियां, मंडप में घोड़े पर।
वरण करेगी प्रियतम का, नया इतिहास रचायेगी,
रणबा़कुरी- गृहलक्ष्मी-प्रियतमा, बैठ चली घोड़े पर।
अ कीर्ति वर्द्धन
रणबा़कुरी- गृहलक्ष्मी-प्रियतमा, बैठ चली घोड़े पर।
अ कीर्ति वर्द्धन
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