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राधा ने श्याम को, यूँ ही तो नही चाहा था,
कान्हा नयन से दूर, मगर दिल मे बसाया था|
बचपन की दोस्ती, कभी बिसरायी न जा सकी,
कान्हा कभी गोकुल वापस तो न आया था|
अ कीर्ति वर्द्धनa
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