Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

सच है मगर सोचना विचारना होगा

 
सच है मगर सोचना विचारना होगा
हमने किसका साथ निभाया,
बिन स्वार्थ कब आगे आया।
परहित मे खुद की नींद उड़ाई,
किसकी खातिर नीर बहाया?
कब गैरों के गम में रोये,
खिला किसीको भूखे सोये?
फटी बिवाई निज पैरों में,
तब ही जाना दर्द क्या होये।
काम किसी के आना सीखें,
अहसासों को जानना सीखें।
चोट लगे जब किसी एक को,
हम सब अश्रु बहाना सीखें।
अ कीर्ति वर्द्धन


Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ