Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सहयोग

 
देर रात को जब कभी घर को आता हूं,
खाना खाकर आया पत्नी को बतलाता हूं।
भूख लगे तो पानी पीकर काम चलाता,
कष्ट न हो उसको भूखा ही सो जाता हूं। 

कभी-कभी जब वह किट्टी पार्टी में जाती है,
खाना खाकर आयी वापस आ बतलाती है।
पेट खराब है मेरा आज नहीं खाना खाऊंगा,
बस दूध पीऊंगा, उसे तसल्ली हो जाती है।

हर बात का पत्नी घर में ध्यान करे,
निपट अकेली घर के सारे काम करे।
बस इतना ही सोच चुप रह जाता हूं,
दिनभर थकी हुई थोडा वो आराम करे।

बुड्ढे बुढ़िया हर घर में अब दो ही रहते,
अपने सुख दुख आपस में साझा करते।
बच्चे कहते साथ चलो मिलकर रह लेंगे,
मन नहीं लगता कहीं छोड घर, ऐसा कहते।

अ कीर्ति वर्द्धन

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