Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बादल

 
आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊं, एक कहानी बादल की,
काले- पीले, रंग- बिरंगे, भूरे- काले बादल की।
रूई से बन गगन में घूमें, अलग अलग धर रूप सलोने,
भरा हुआ है कुछ में पानी, बात निराली बादल की।
सोच रहे क्या कहां से लाता, इतना सारा ये पानी,
धरती जिससे धानी बनती, प्यास बुझाते बादल की।
जब वर्षा का मौसम आया, बादल ने जल बरसाया,
बहता पानी गया समंदर, आस बन गया बादल की।
सूरज की गर्मी से पानी, भाप बना औ' गगन में पहूंचा,
घनी भाप से बादल बन गया, यही कहानी बादल की।
छोड़ समंदर का खारापन, मीठा पानी ले जाता,
पर उपकार की खातिर बरसा, सीख यही है बादल की।

अ कीर्ति वर्द्धन




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