Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेदिली से भी दिल को मनाते रहिये

 

बेदिली से भी दिल को मनाते रहिये,
बिना सुर के भी साज बजाते रहिये।
अनुभव के साथ से नया सुर निकलेगा,
तन्हा ही सही सफर को चलाते रहिये।
नफरतों के दरम्यां भी प्यार का अहसास,
दिल मिले न मिलें, हाथ मिलाते रहिये।
जलाओगे दीपक कुछ तम तो मिटेगा,
सुबह होने तक रोशनी बनाते रहिये।
जानते हैं एक किरण से अंधेरा भागेगा,
जीवन बगिया में प्यार बीज लगाते रहिये।
 

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