देखिये संसार को, निज दृष्टि आलोक में,
पहचानिये सत्य को, निज दृष्टि आलोक मे।
दिखता सामने जो, सदा सत्य होता नही,
रचिये संसार को, निज दृष्टि आलोक में।
अ कीर्ति वर्धन
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देखिये संसार को, निज दृष्टि आलोक में,
पहचानिये सत्य को, निज दृष्टि आलोक मे।
दिखता सामने जो, सदा सत्य होता नही,
रचिये संसार को, निज दृष्टि आलोक में।
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