एक बार हुआ रावण को, ताकत का अहंकार,
देव दानव किन्नरों पर, करने लगा तब अत्याचार।
जिनको तुच्छ समझता था वह, मानव व वानर थे,
अहंकार का शीश झुका, किया अंगद ने बंटाधार।
हनुमान ने जलाकर लंका, उसकी औकात बतायी,
लक्ष्मण को लगी थी शक्ति, संजीवनी से उपचार।
नल नील और जामवंत ने, ऐसी तकनीक अपनायी,
बांध दिया पुल समुंद्र पर, सेना को कर दिया पार।
नहीं सुनी रावण ने किसी की, भाई को लात लगाई,
राम लखन ने बाण चलाकर, वंश का किया उद्धार।
अ कीर्ति वर्द्धन
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