Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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साजिशें कब यहां किसकी मुकम्मल हुयी

 
साजिशें कब यहां किसकी मुकम्मल हुयी,
एक खत्म होने से पहले दूसरी शुरू हुयी।
मेरे हौसलों का इम्तिहान न ले ऐ जिन्दगी,
मौत से भी दोस्ती ज़िन्दगी के जैसी हुयी।

अ कीर्ति वर्द्धन

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