Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

संस्कारों की मिट्टी खेत की

 
जकड़ लेती जिस तरह, जड़ों को मिटृटी खेत की,
गिरने नहीं देती वृक्ष को, धरा पर मिट्टी खेत की।
उसी तरह जकड़ा हुआ हूं, दुख सुख तकलीफ से,
बिखरने नहीं देती वुजूद, संस्कारों की मिट्टी खेत की।

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ