कभी -कभी तो ऐसा लगता, जो मांगों मिल जाता है,
आयी याद जरा किसी की, वो दर पर दिख जाता है।
कभी कभी सम्मुख न होता, घंटी कानों में आ जाती,
फोन उठाया उसकी बातें, सुन मन प्रसन्न हो जाता है।
नया दौर अब नयी हैं बातें, पर मन की बातें वैसी हैं,
अभी किसी को याद किया, फेसबुक पर आ जाता है।
कभी कभी तो ऐसा होता, हिचकी आती जाती है,
जब नाम लिया उसका, मुंह मिश्री सा भर जाता है।
अ कीर्ति वर्द्धन
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY