Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बढना सीखा

 

जीवन पथ के संघर्षों से, हमने आगे बढना सीखा,

उबड खाबड राह में काँटें, संभल स़भलकर चलना सीखा।

बहुत सिसकियां सुनी थी हमने, बेबस बेटी ओर बहनों की,

संस्कारों के बीज रोपकर, मानवता हित लडना सीखा।

जब भी लिखी पीर जगत की, खुद को उसमें उलझा पाया,

सकारात्मक जब भी सोचा, सूरज सा बन उगना सीखा।
अ कीर्तिवर्धन

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