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Dr. Srimati Tara Singh
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पर्यायवाची शब्द को याद कराने का आसान तरीका

 


पर्यायवाची शब्द को याद कराने का आसान तरीका
अग्नि ,आग ,दहन ज्वाला मिल के आग लगाते हैं
पानी ,जल, नीर ,सलिल अंबु मिलके इसे बुझाते हैं
बादल, मेघ ,जलद, वारिद झूम झूम के आते हैं
नभ,गगन,आकाश,व्योम पर यह तो फैल जाते हैं
बारिश,वर्षा,चौमासा देखो जब भी आती है
धरा, पृथ्वी, धरती ,ज़मीन हरी भरी हो जाती है
नदी, तनुजा,तटिनी, दरिया जब ज़्यादा भर जाती है
जग,जगत,विश्व,दुनिया मे हाहाकार मचाती है 
जंगल,विपिन,कानन ,विटप तुम मिल के इसे बचाओ
पेड़, तरु,पादप ,वृक्ष को एक काटो दस लगाओ
पंकज ,जलज,राजीव ,कमल भारत का है राष्ट्रीय फूल
जहर,गरल,माहुर,कालकूट इसे मत करना खाने की भूल
बाप,तात,जनक,पिता सदा तुम इनका सम्मान करो
माता,जननी,माँ, वालिदा सदा तुम इनके क़दमों में रहो
आँख,नयन,नेत्र,लोचन से सब कुछ देखा जाता है 
जीभ,रसना,वाणी, ज़बान से स्वाद पहचाना जाता है
पक्षी ,खग, नभचर,पखेरू का सदा खयाल रखो 
भोजन, खाना, आहार को कभी न तुम बेकार करो
कपड़ा ,वस्त्र, चीर, वसन को रखो सदा तुम साफ
क्रोध, गुस्सा,आक्रोश, कोह में कर दो सबको माफ
सूर्य,दिनकर,दिवाकर ,दिनेश दिन मे प्रकाश फैलाते है
चंद्रमा,शशि,इंदु,चांद रात में राह दिखाते हैं
गृह, घर,आलय, निवास में हम सबको मिलता है आराम
अनाड़ी,अनभिज्ञ,अपटु लोगों से बिगड़ जता है बनता काम
कोयल, कोकिला,पिक ,सारिका सुंदर आवाज़ सुनाते हैं 
घोड़ा ,हय, तुरंग,अश्व, पल में सरपट दौड़ लगाते हैं
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