बेड़ियाँ गुलामी की क्या यूं ही काट पाए थे
अनगिनत ही शीश मातृभूमि पे चढ़ाये थे
अब हमारा फ़र्ज़ है के अपना योगदान दें
सिर्फ अपने देश के विकास पर ही ध्यान दें
स्वतंत्र अपना देश हो ये हर किसी का ख्वाब था
गांधी नेहरु बोस लोकमान का ख़िताब था
देश जो आहुति मांगे जान की, तो जान दें
सिर्फ अपने देश के विकास पर ही ध्यान दें
हिन्दू हैं मुसलमा हैं के सिख हैं के ईसाई हैं
हिंद के हैं वासी जितने सारे भाई भाई हैं
भेद भाव धर्म जात अब न इन पे कान दें
सिर्फ अपने देश के विकास पर ही ध्यान दें
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