Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आदमीपन

 

 

कुत्तों की उस अदालत में एक कुत्ते पर मुक़दमा चल रहा था । उस पर आरोप यह था कि उसने अपने मालिक को ही काट खाया था ।
जज के यह पूछे जाने पर कि उसने अपने मालिक को ही क्यों काट खाया, उसने उत्तर दिया- ‘मी लार्ड, मैंने टी.वी. पर न्यूज़ देखी कि ताईवान, सिंगापुर जैसे कुछ देशों में लोग कुत्ते का माँस बडे़ ही चाव से खाते हैं। बस ये देखकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया, और मैंने विरोध-प्रदर्शन करने के लिये अपने मालिक को ही काट खाया ।’
‘‘तुमने विरोध प्रदर्शन कर बदले की कार्रवाई की है, और इस तरह तुमने आदमीपन झाड़ा है, जो कि अक्षम्य है अत...’’
‘...मुआफ़ कीजिये आदमीपन मैं नहीं, आप झाड़ रहे हें, जो इतना सब होने पर भी मुझे वफ़ादारी का पाठ पढ़ा रहे हैं ।’ कुत्ते ने जज के वाक्य को बीच में काटकर अपनी बात रखी ।
‘‘ख़ामोश! न्यायालय की अवमानना करते हो। अब मेरा फ़ैसला सुनो-‘‘तुमने अपने ही मालिक को काटकर सारी कुत्ता जमात को बदनाम किया है, और साथ ही न्यायालय की अवमानना भी की है, अतः तुम्हें मृत्युदंड दिया जाता है ।’’ जज ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा।

 

 

आलोक कुमार सातपुते

 

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