आज़ादी के बाद उस देश में लागू लोकतांत्रिक पद्धति में सत्तापक्ष राजशाही की परंपरा चलाने लगा, तो विरोधियों ने लोकतांत्रिक पद्धति से विरोध दर्ज़ कराया, और जनता ने विरोधियों को सत्ता सांप दी । कुछ महीनों बाद पता चला कि ये भी कुछ कम नहीं हैं, सो अगली बार जनता ने प्रयोग के तौर पर अपराधियों को सत्ता सांप दी । अब तो अपराधियों को अपराध करने का लायसेंस मिल गया, और देश में ख्ुले-आम अपराध होने लगे। खीझकर अगली बार जनता ने हिजड़ों को सत्ता सांप दी ।
आज विभिन्न राष्ट्रीय समारोहों में जनता उन सबको एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए ‘हम सब एक हैं’ का नारा लगाते हुए देखती है ।
...शायद अगली बार जनता ग़ुलामी को ही चुने ।
आलोक कुमार सातपुते
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