मै हिन्दू ,
तू मुसलमान...
न तू ही पहलवान....
न मै ही पहलवान....
फ़ैले लाल रंगों से...
रोज-रोज दंगों से...
मै भी हैरान ...
और तू भी हैरान....
न तू ही पहलवान....
न मै ही पहलवान...
नफ़रत की राजनीति....
वोटों की हार-जीत....
सत्ता का धर्म शास्त्र ....
दंगों के लाल गीत....
मै भी था शान्त-२
तू भी महफ़ूज़ था...
न जाने कौन फिर .... ?
इतना कन्फ्यूज़ था....
दागी बारूद कंही ...
चलती तलवार है...
हिन्दू की मुस्लिम की...
खिंचती सलवार है....
तेरा जो कर्म है
मेरा भी कर्म है
जाने दंगाईयों का...
मजहब क्या ... ?धर्म है.....?
मेरे मकान मे...
तेरी दूकान है...
खाने का... पीने का
सारा सामान है...
बच्चों की बोतल है..
गीता-कूरान है...
मच्छर का लोशन है
महकता लोबान है..
तेरी मोहब्बत है..
मेरा सम्मान है...
लेकिन कुछ लोगों ने
बो दी है नफ़रत...
सत्ता की कैसी...
घिनौनी है हरकत...
तेरे भी......मेरे भी
छोटे हैं बच्चे....
डरता तो तू भी है.....
डरता तो मै भी हूँ....
दंगे मे... कर्फ्यू मे
तू भी परेशान...
और मै भी परेशान....
न तू ही पहलवान...
न मै ही पहलवान...
आपका
डॉ.आनन्द कुमार यादव
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