Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्यार सदा अनमोल रहा है

 

प्यार सदा अनमोल रहा है।
रस दुनिया में घोल रहा है।।

उसकी आँखे तोल रहा है,
अपना दिल भी खोल रहा है।

धीरेे-धीरे जाने क्या वो,
कानों में कुछ बोल रहा है।

मौसम की मादक शै पाकर,
आवारा दिल डोल रहा है।

जिसकी यादों से नम आँखे,
रिश्ता वो अनमोल रहा है।

क्यूँ मानें हम उनकी बातें,
बातों में जब झोल रहा है।

लाख दिखावा भारी पन का,
थोथा फिर भी ढोल रहा है।

आंधी तूफां से टकरा कर
पंछी पर फिर खोल रहा है

आशा पाण्डेय ओझा
 

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