Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं नारी हूँ

 

स्त्री हूँ मैं नारी हूँ
इस गौरव के लिये ईश्वर की आभारी हूँ
कोमल हूँ कमज़ोर नहीं
बेबाक हूँ मुंहजोर नहीं

 

 

रंग हूँ, नूर हूँ, खुशबू हूँ, धूप हूँ
ईश्वर की अनमोल कृति, मैं उसका ही प्रतिरूप हूँ

 

 

आशा हूँ, अभिलाषा हूँ
जीवन की परिभाषा हूँ
प्यार, त्याग स्नेह और
समर्पण की भाषा हूँ

 

 

कविता हूँ, सुर-सरिता हूँ
फ़िज़ाओं में रस भरती हूँ
अधरों से गुनगुन करती
आँखों से शिकवा करती हूँ

 

 

अपनी दशा, अपनी व्यथा पर कुछ ध्यान चाहती हूँ
माँ हूँ, बहन-बेटी हूँ, कुछ सम्मान मैं भी चाहती हूँ

 

 

स्त्री हूँ मैं नारी हूँ
मान-सम्मान और प्रेम की, मैं भी अधिकारी हूँ.

 

 

 

Er. आशा शर्मा

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