जिंदगी में सब इतना खूबसूरत होने के बावजूद
अक्सर जब छोटी सी किसी बात पर
जैसे बिल्कुल बेवजह की अनबन हो जाती है
ख्याल खुद-ब-खुद दिमाग में आकर बहुत कुछ कहते हैं:-
ये इंतजार क्या है?
पता नहीं
ये केवल जिंदगी है
या फिर जिंदगी से
बहुत से भी बहुत ज्यादा जीतने की कोशिश!
लगता है जैसे
अपनी कोशिश में
शायद जिंदगी से पेट भर नहीं पा रहा
या फिर शायद
खुद से खुद की खुशी का
समझौता नहीं कर पा रहा
या फिर नहीं तो
बात कुछ ऐसी है
कि शायद
खुद की ही आदतों से
परेशान होने की सच्चाई को
सही से
या तो समझ नहीं पा रहा
या फिर उतना सही से
न ही खुद को
और न ही उसको
कुछ भी समझा नहीं पा रहा
या फिर
कुछ और ही इंतजार में
जैसे जिंदगी है ठहरी
कि शायद...
इससे भी ज्यादा खूबसूरत कल!
बस केवल और केवल बेहतरीन पल
हाथों में उसका हाथ
और जिंदगी में और कुछ भी नहीं जरूरत
किसी भी घड़ी पर
किसी भी तरह!
अशीष आनंद आर्य
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